
में ख़ुद में एक प्रकाश हू
में भस्म आग की नहीं में ख़ुद में एक प्रकाश हू
में राम का एक बाण हू रावण सा एक ज्ञान हू अर्जुन सा मेरा लक्ष्य हे जीत का ही मन में द्रश्य हे
शकुनि सी हू चतुराय में में कृष्ण ना सा महान हू में भस्म आग कि नहीं में खुद में एक प्रकाश हू
ना धन का में वो लोभ हू अभिमानी सा ना क्रोध ह गीता के सार से निकला समाधान का अनुरोध हू
मंज़िल हे मेरी आसमा ना मेरा कोयी रास्ता मोहताज साथ का नहीं में ख़ुद ही एक राह हू
में भस्म आग की नहीं में ख़ुद में एक प्रकाश हू ख़ुद उठने की तलाश में गिराया ना किसी ओ हे
हर धोखे का जवाब अपनी सफलता से में दूँ में भस्म आग की नहीं में ख़ुद में एक मशाल हू

